सावित्री रोज के मुकाबले आज जरा जल्दी उठ गई थी ! उसके पति को काम पर जाना था तो जल्दी जल्दी पति और बच्चों के लिए खाना बना कर रख दिया फिर अपने बच्चों को उठाया जिनमें छह बेटियां और एक बेटा था! सबको नहला धुला कर तैयार किया और खाना खिला कर भेज दिया खेलने को और खुद जुट गई घर की सफाई में, घर को एक दम चमकाने में दोपहर के दो बज चुके थे!
तभी बाहर से किसी की आवाज आई
"आ जाओ कहानी सुनाने वाली अम्मा आ गई हैं".
उसने जवाब दिया : अरे आती हूं पांच मिनट इंतजार करो जरा सी देर हो गई काम निपटाने में!
हां आज करवाचौथ का व्रत है, इसलिए सावित्री और पड़ोस की सारी महिलाऐं सज संवर कर बैठ गई हैं, करवा मैया की कहानी सुनने, पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करने!
कहानी सुनने के बाद सभी महिलाओं ने अम्मा के पांव छूकर सदासुहागन रहने का आशीर्वाद लिया और दक्षिणा देकर विदा किया !
अब सभी पड़ोसन महावार लेकर बैठ गईं और रच रच कर सभी ने अपने और एक दूसरे के पैरों को रंगा !
महावर सूखने के बाद शुरू हुई रात के लिए पकवान बनाने की दौड़.... सुबह से भीगा कर रखी गई उड़द की दाल उसे सिल बट्टे से पिसा जा रहा है क्योंकि रात को दही भल्ले और दाल की कचौड़ियां बनाई जाएंगी दूसरी तरफ चूल्हे पर आलू उबल रहे हैं आलू की सूखी सब्जी और पूड़ी भी तो बनेगी... कड़ी के लिए मट्ठे का इंतजाम कर लिया गया था चावल भी साफ हो चुके थे...
खाने का काम भी पूरा हो ही चुका था अब इंतजार हो रहा था चांद के निकलने का...
महिलाऐं बच्चों को भेज भेज कर पता करवा रही थी देख कर आओ जरा चांद निकला कि नही...
सुबह से बिना कुछ खाए पिए बिना व्रती चांद के निकलने का इंतजार कर रही थीं
लेकिन सावित्री ये भी पता करवाती थी कि देख कर आ पापा आए कि नही...?
पापा आ रहे हैं मम्मी छोटी बेटी ने आवाज लगा कर बताया. . सावित्री झट पट पूजा की थाली सजाने लगी! पति के आते ही बोली हाथ मुंह धो लो चांद बहुत देर का निकल आया है बच्चे भी खाना खाने का इंतजार कर रहे हैं!
पति भी न जाने कहां से भरा हुआ तो आया ही था नशे में धुत्त था पास रखा डंडा उठाया आव देखा ना ताव लगा डंडे बरसाने भाषण देती है... ज्यादा आदेश देने आ गए हैं...
सावत्री मार खाते हुए ये भी नही पूछ रही थी कि उसकी गलती क्या है उसको क्यों पिटा जा रहा है? ये सब पहली बार नही था ना..!
जब सब शांत हो गया तो पति को खाना खिलाया उसके पांव छूकर पानी पीकर अपना व्रत खोला फिर बच्चों को खाना खिला खुद ऐसे ही सो गई !
अब खाना खाने की इच्छा नही थी पति की पिटाई से उसका पेट भर गया था......!
लेखिका का परिचय: रेखा वर्मा स्वतंत्र अनुवादक नई दिल्ली, पूर्व छात्रा जी.आर. एस. डिपार्टमेंट, दिल्ली विश्व विद्यालय.